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लेखनी प्रतियोगिता -12-Mar-2023

स्वैच्छिक 


रंगों का त्यौहार 

*कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन वसंत?*
*प्रेम रंग फागुन रंगे, प्रीत कुसुम वसंत।*
*चूड़ी भरी कलाइयाँ, खनके बाजू-बंद,*
*फागुन लिखे कपोल पर, रस से भीगे छंद।*
*फीके सारे पड़ गए, पिचकारी के रंग,*
*अंग-अंग फागुन रचा, साँसें हुई मृदंग।*
*धूप हँसी बदली हँसी, हँसी पलाशी शाम,*
*पहन मूँगिया कंठियाँ, टेसू हँसा ललाम।*
*कभी इत्र रूमाल दे, कभी फूल दे हाथ,*
*फागुन बरज़ोरी करे, करे चिरौरी साथ।*
*नखरीली सरसों हँसी, सुन अलसी की बात,*
*बूढ़ा पीपल खाँसता, आधी-आधी रात।*
*बरसाने की गूज़री, नंद-गाँव के ग्वाल,*
*दोनों के मन बो गया, फागुन कई सवाल।*
*इधर कशमकश प्रेम की, उधर प्रीत मगरूर,*
*जो भीगे वह जानता, फागुन के दस्तूर।*
*पृथ्वी, मौसम, वनस्पति, भौरे, तितली, धूप,*
*सब पर जादू कर गई, ये फागुन की धूल।*
*फागुन का रंग और नशा सब पर चढ़ जाये*
*परमात्मा के रंग में हर कोई रंग जाए *


अपर्णा "गौरी" 
              💥🌹🌈🌹🌈🌹💥

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7 Comments

Gunjan Kamal

14-Mar-2023 01:40 AM

सुंदर प्रस्तुति

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Alka jain

13-Mar-2023 08:18 AM

Nice 👍🏼

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Abhinav ji

13-Mar-2023 07:52 AM

Very nice 👍

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Thank you so much

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