*कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन वसंत?*
*प्रेम रंग फागुन रंगे, प्रीत कुसुम वसंत।*
*चूड़ी भरी कलाइयाँ, खनके बाजू-बंद,*
*फागुन लिखे कपोल पर, रस से भीगे छंद।*
*फीके सारे पड़ गए, पिचकारी के रंग,*
*अंग-अंग फागुन रचा, साँसें हुई मृदंग।*
*धूप हँसी बदली हँसी, हँसी पलाशी शाम,*
*पहन मूँगिया कंठियाँ, टेसू हँसा ललाम।*
*कभी इत्र रूमाल दे, कभी फूल दे हाथ,*
*फागुन बरज़ोरी करे, करे चिरौरी साथ।*
*नखरीली सरसों हँसी, सुन अलसी की बात,*
*बूढ़ा पीपल खाँसता, आधी-आधी रात।*
*बरसाने की गूज़री, नंद-गाँव के ग्वाल,*
*दोनों के मन बो गया, फागुन कई सवाल।*
*इधर कशमकश प्रेम की, उधर प्रीत मगरूर,*
*जो भीगे वह जानता, फागुन के दस्तूर।*
*पृथ्वी, मौसम, वनस्पति, भौरे, तितली, धूप,*
*सब पर जादू कर गई, ये फागुन की धूल।*
*फागुन का रंग और नशा सब पर चढ़ जाये*
*परमात्मा के रंग में हर कोई रंग जाए *
अपर्णा "गौरी"
💥🌹🌈🌹🌈🌹💥
Gunjan Kamal
14-Mar-2023 01:40 AM
सुंदर प्रस्तुति
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Alka jain
13-Mar-2023 08:18 AM
Nice 👍🏼
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अपर्णा " गौरी "
13-Mar-2023 09:21 AM
Thanks
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Abhinav ji
13-Mar-2023 07:52 AM
Very nice 👍
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अपर्णा " गौरी "
13-Mar-2023 09:21 AM
Thank you so much
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